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पुलिस स्टेशनों के DB रूम में CCTV बंद होने के गंभीर आरोप, मानवाधिकार उल्लंघन व ‘ऑफ-कैमरा सेटलमेंट’ पर उठे सवाल

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परमेश्वर सिंह | नवी मुंबई: नवी मुंबई के पुलिस स्टेशनों के डिटेक्शन ब्रांच (DB) रूम में लगे CCTV कैमरों के लंबे समय से निष्क्रिय रहने को लेकर गंभीर आरोप सामने आए हैं। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि कैमरे बंद होने का लाभ उठाकर कुछ अधिकारी कथित रूप से मानवाधिकार का उल्लंघन, अनुचित दबाव, जबरदस्ती से सेटलमेंट की कोशिश, तथा फर्जी केस दर्ज करने की धमकी देते हैं। इन आरोपों ने पुलिस कार्यप्रणाली की पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, शिकायतकर्ता अखबर और मस्तान का आरोप- “DB रूम में ऑफ-कैमरा दबाव बनाया जाता है” DB रूम में स्थापित CCTV लंबे समय से बंद हैं, पूछताछ के दौरान ऑफ-कैमरा माहौल में दबाव बनाकर अनुचित ‘सेटलमेंट’ का प्रयास और आरोपी से जबरन किसी अन्य व्यक्ति का नाम फर्जी केश में इन्वालब कर गैरकानूनी तरीके से समझौता करना, या फर्जी केस में फँसाने की धमकी का प्रयास निरंतर होता हैँ, कई मामले में तो RTI आवेदनों का समयसीमा में जवाब नहीं मिलता और नागरिकों को बार-बार फर्स्ट अपील तक जाना पड़ता है, शिकायतकर्ता के अनुसार, कैमरों के निष्क्रिय रहने से किसी भी नागरिक,विशेषकर पूछताछ में बुलाए जाने वाले व्यक्तियों की सुरक्षा व अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कानून में किन प्रावधानों का हो सकता है उल्लंघन?, 1)  मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 हिरासत या पूछताछ के दौरान किसी भी प्रकार का उत्पीड़न, दबाव या अमानवीय व्यवहार स्पष्ट मानवाधिकार उल्लंघन माना जाता है। 2) भारतीय संविधान- अनुच्छेद– 21 जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार, पूछताछ प्रक्रिया में भी पूर्णतः सुरक्षित है। 3) सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश (2018 एवं 2020) सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट आदेश दिया है कि- सभी पुलिस स्टेशनों के पूछताछ कक्षों में CCTV- 24×7 कार्यरत होना अनिवार्य है। CCTV निष्क्रिय पाए जाने पर विभागीय कार्रवाई संभव है। आरोप सिद्ध होने पर- IPC 166 – सरकारी कर्मचारी द्वारा कानून का दुरुपयोग, IPC 384/385 – जबरन वसूली या धमकी, IPC 218- गलत या भ्रामक रिकॉर्ड बनाना, IPC 341/342 – अवैध हिरासत, IPC 506- आपराधिक धमकी,  RTI अधिनियम, 2005 – धारा 7(1) – 30 दिनों में जवाब अनिवार्य, धारा 20(1)- देर/गलत जानकारी पर जुर्माना हैँ! नागरिकों की मांग – सभी DB रूम में CCTV की तकनीकी जाँच रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए, निष्क्रिय कैमरों को तुरंत चालू किया जाए, आरोपों की स्वतंत्र जांच मानवाधिकार आयोग से कराई जाए, पूछताछ कक्षों में पारदर्शिता के लिए ऑडियो – वीडियो रिकॉर्डिंग लगातार उपलब्ध रहे। पुलिस विभाग की प्रतिक्रिया का इंतज़ार- इस रिपोर्ट के प्रकाशन तक नवी मुंबई पुलिस की ओर से इन आरोपों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हो सकी है। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि कैमरों की स्थिति, RTI जवाबदेही, और पूछताछ प्रक्रिया में सुधार को लेकर स्पष्ट और ठोस कदम अति आवश्यक हैं।

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