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मिर्जापुर लोकसभा, जनता की चुप्पी ने फेल कर दी चुनावी पंडितों की गणित, अब वोटिंग का इंतजार

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अख्तर हाशमी- ब्यूरो चीफ / मिर्जापुर : मिर्जापुर लोकसभा सीट पर पिछले 1 सप्ताह से वीआईपी नेताओं के ताबड़तोड़ दौरे हो रहे हैं। बीजेपी ने एनडीए प्रत्याशी अनुप्रिया पटेल को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। पीएम मोदी से लेकर सीएम योगी तक मिर्जापुर की जनता से कप-प्लेट पर वोट मांग रहे हैं। वहीं, बसपा सुप्रीमो मायावती भी जिले में रैली कर चुकी हैं। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव सबसे लास्ट में मिर्जापुर की जनता से साइकिल चलाने की मांग करने वाले हैं। लेकिन इन सबके बीच आम जनता की चुप्पी ने चुनावी पंडितों को भी हैरान कर दिया है। नेताओं की टोलियां गांव-गांव पहुंच रही हैं। मतदाताओं की चरण वंदना से लेकर नाराज लोगों के मान-मनौव्वल का दौर चल रहा है लेकिन पब्लिक कुछ नहीं बोल रही। लोग शांत हैं और वोट देने के लिए उत्साहित भी हैं। ऐसे में यह अंदाज लगाना मुश्किल हो रहा है कि आखिर ऊंट किस करवट बैठेगा? आम जनता की तरफ से सभी नेताओं को आश्वासन भले मिल रहा है लेकिन लोग किसे वोट देंगे? इस सवाल का सीधा जवाब नहीं दे रहे। इससे साफ है कि मिर्जापुर में इस बार सबसे टफ फाइट होने जा रही है। बीजेपी-एनडीए की प्रत्याशी अनुप्रिया पटेल जिले में मेडिकल कॉलेज से लेकर नेशनल हाईवे, इंडियन ऑयल डिपो जैसे काम गिना रही हैं। वे केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के साथ ही मोदी की गारंटी की बात भी कर रही हैं लेकिन दूसरे दल पूछ रहे हैं कि आपने खुद से क्या किया? समाजवादी पार्टी ने जबसे रमेश बिंद को मिर्जापुर का टिकट दिया, तबसे लड़ाई कांटे की होती जा रही है। रमेश बिंद का दावा है कि उन्हें न सिर्फ सपा का वोट मिलेगा बल्कि बसपा का दलित वोट भी उन्हें मिल रहा है क्योंकि वे पहले तीन बार विधायक रह चुके हैं।
चुनाव एक्सपर्ट बताते हैं कि बसपा के मनीष तिवारी को बसपा के कैडर वोट के साथ ही ब्राह्मण मतदाताओं से उम्मीद है। वे बाहरी बनाम स्थानीय मुद्दे को जोर-शोर से उछाल रहे हैं। हालांकि जमीन पर उनकी सक्रियता कम दिख रही है। दूसरी तरफ अनुप्रिया पटेल की बहने पल्लवी पटेल ने दौलत सिंह पटेल को मैदान में उतारकर पटेल वोट बैंक में सेंधमारी की राजनैतिक चाल चली है। इससे अनुप्रिया के सामने दोहरी चुनौती है और टक्कर कांटे की बनती दिख रही है। हालांकि सोशल मीडिया पर पार्टी कार्यकर्ता अपने-अपने प्रत्याशी की जीत का दावा कर रहे हैं। कोई अनुप्रिया से नाराज है तो बीजेपी और मोदी के नाम पर वोट की मांग कर रहा है, तो कोई रमेश बिंद से नाराज है तो अखिलेश यादव और इंडी गठबंधन के पक्ष में मतदान की अपील कर रहा है। कुछ ग्रुपों में तो बाकायदा वीडियो-फोटो, पुरानी, नई बातों से जनता को अपने पाले में खींचने की कोशिश की जा रही है। इन सबके बावजूद आम जनता चुप है और वोटिंग के दिन का इंतजार किया जा रहा है।

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