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कथा में द्वारिकाधीश माता रुक्मणी देवी के शुभ विवाह का वर्णन करते आचार्य धनेश महाराज ।

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परमेश्वर सिंह / अंबेडकरनगर आलापुर जहांगीरगंज क्षेत्र के अंतर्गत ग्रामसभा अकथरा नारायणपुर में श्री अकथरी माता के स्थान पर भव्य रुप से चल रही है नौ दिवसीय भगवान द्वारकाधीश के कथा का रसपान बड़े ही धूमधाम से संगीतमय धुन के साथ सभी श्रद्धालुओं को रसपान कराते हुए आचार्य धनेश महाराज जी की और से सभी को सुंदर तरीके से कथा का रसपान करते हुए दिखे। आचार्य धनराज जी ने करते हुए कहा । सब संत मिलन को जाइए तजि ममता अभिमान । ज्यो ज्यो पग आगे बढ़े कोटिन यज्ञ समान। नौ दिवसीय शतचंडी महायज्ञ में श्रीमद् भागवत महापुराण की मंगलमयी कथा का  आयोजन चल रहा था जिसका आज छठा दिन है आज भगवान द्वारिकाधीश एवं रुक्मणी का शुभ विवाह होगा भगवान के विवाह की कथा सुनकर के व्यक्ति का जीवन वाह-वाह से भर जाता है अर्थात जीवन मंगलमय हो जाता है। भागवत का अर्थ है भा से भक्ति। ग से ज्ञान। व से वैराग्य और ता से त्याग ।भक्ति ज्ञान वैराग्य त्याग का जहां संगम हो वही भागवत है बड़े भाग्य मानुष तन पावा सुर दुर्लभ सब ग्रंथन गावा। प्यारे मानव जीवन बड़ा ही दुर्लभ है। तो इसको सत्संग सरिता में स्नान करके पावन बना लीजिए। भागवत की मंगलमयी कथा संगीतमयी कथा श्री अयोध्या जी की पावन धरा से पधारे हुए पूज्य आचार्य  धनेश महाराज जी के द्वारा गाई जा रही है सुनाई जा रहे है।

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