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महाराष्ट्र में अवैध ‘विमल गुटखा’ की करोडो में बिक्री, पुलिस की कार्रवाई पर उठे सवाल

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परमेश्वर सिंह | नवी मुंबई : नवी मुंबई के कई इलाकों में प्रतिबंधित ‘विमल गुटखा’ और पान मसाला की अवैध बिक्री एक बार फिर सुर्खियों में है। पिछले कुछ वर्षों में पुलिस और FDA द्वारा कई बार छापे और जब्ती की कार्रवाई की गई, लेकिन इसके बावजूद बाजार और आवासीय इलाकों में इन उत्पादों की बिक्री बेरोक-टोक जारी है। इसी वजह से अब पुलिस की कार्यवाही की प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। लगातार छापों के बावजूद कारोबारी सक्रिय हैं, बीते वर्षों में महापे MIDC, नेरुल, खारघर और ऐरोली क्षेत्रों में पुलिस ने लाखों रुपये की गुटखा खेप जब्त की थी। कई आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया। इसके बावजूद जमीनी हकीकत यह है कि छोटे दुकानदार और फुटपाथ विक्रेता अभी भी इन उत्पादों को गुपचुप तरीके से बेचते देखे जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि पुलिस की कार्रवाई “मौके की” लगती है, नियमित नहीं। विक्रेताओं का दावा – ‘हफ्ता’ देकर चलता है काम कुछ विक्रेताओं की मानें तो यह कारोबार पुलिस और स्थानीय स्तर पर निगरानी की कमी का फायदा उठाकर चलता है। कई जगह आरोप है कि कुछ विक्रेता ‘हफ्ता’ देकर अपना धंधा जारी रखे हुए हैं। हालाँकि पुलिस ऐसी किसी भी मिलीभगत के आरोपों को सिरे से खारिज करती रही है। कानून तो सख्त है, अमल कमजोर- महाराष्ट्र में साल 2012 से गुटखा और फ्लेवर्ड पान मसाला पर पूर्ण प्रतिबंध है। स्वास्थ्य विभाग और FDA नियमित रूप से इसकी निगरानी के आदेश देते रहे हैं। फिर भी नवी मुंबई में इसका खुला उल्लंघन यह सवाल खड़ा करता है कि क्या कानून के अमल में कोई ढील है? या फिर यह संगठित नेटवर्क पुलिस की पकड़ से बाहर है?, राज्य सरकार ने हाल ही में संकेत दिया है कि गुटखा माफिया पर अब MCOCA जैसे कड़े कानून लगाए जा सकते हैं। इसका मतलब है कि तस्करी, भंडारण और वितरण से जुड़े नेटवर्क को अपराध सिंडिकेट मानकर कार्रवाई होगी। अगर ऐसा हुआ, तो गुटखा कारोबारियों पर न केवल कड़ी सजा बल्कि उनकी आर्थिक संपत्ति पर भी गाज गिर सकती है। स्थानीय जनता की मांग – ‘लगातार कार्रवाई हो’ नवी मुंबई के नागरिक संगठनों और सोशल एक्टिविस्टों का कहना है कि पुलिस को एक-दो बार की कार्रवाई से आगे बढ़कर लगातार निगरानी रखनी चाहिए। लोगों का कहना है कि जब तक नियमित छापे, गुप्त निगरानी, और जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय नहीं होती, तब तक अवैध गुटखा का कारोबार खत्म होना मुश्किल है। अवैध गुटखा बिक्री पर कार्रवाई तो दिखती है, लेकिन उसकी निरंतरता और प्रभावशीलता पर सवाल उठना जायज़ है। नवी मुंबई में यह मुद्दा सिर्फ कानून का नहीं, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और शासन-व्यवस्था की विश्वसनीयता से जुड़ा है।

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