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मानव मात्र की सेवा करना ही जीवन का उद्देश्य- औघड़ सियाराम बाबा

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अख्तर हाशमी/ कछवा, मिर्जापुर: घर पर रहकर परिवार के लोगों की सेवा करना, एक-दो व्यक्तियों की सेवा करने से बेहतर यह लगा कि संन्यासी जीवन में ज्यादा से ज्यादा लोगों की सेवा करूं। यह कहना है बाबा काशी विश्वनाथ व मां विंध्यवासिनी के मध्य स्थित कछवां थाना क्षेत्र के गड़ौली धाम गंगा किनारे मंदिर के औघड़ सियाराम बाबा का बुधवार को एनएमटी ब्यूरो चीफ अख्तर हाशमी ने वहां पहुंचकर औघड़ सियाराम बाबा से मुलाकात कर उनके विषय में विस्तृत जानकारी अर्जित की। मालूम हो कि बाबा के दरबार में इन दिनों ढरों भक्त पहुंच रहे हैं और जल्द ही यहां विशाल भंडारे का आयोजन किया जाना है। सियाराम बाबा ने बातचीत में बताया कि वे मूलरुप से वाराणसी जिले के आराजीलाइन में ग्राम कचहरियां के रहने वाले हैं। बचपन से ही उनका मन गृहस्थ जीवन से हटने लगा था। यही कारण था कि 11 साल की उम्र में पहली बार घर-परिवार छोड़ दिया। इसके बाद हरिद्वार, उज्जैन और काशी में घूमते रहे। बाबा कीनाराम परंपरा के औघड़ सियाराम बाबा ने बताया कि वे सक्तेशगढ़ अड़गड़ानंद बाबा के आश्रम पहुंच गए थे। किसी तरह गुरुदेव को यह पता चला कि मैं घर परिवार, पत्नी छोड़कर आ गया हूं तो उन्होंन वापस लौटने के लिए कहा। परिवार के लोगों ने 19 साल की उम्र में ही शादी करा दी थी लेकिन मेरा परिवार में नहीं लगता था। पत्नी भी परेशान रहती लेकिन वह कहती कि दिन में जाकर एक बार मसान बाबा के दर्शन कर लिया करो, शाम को घर आ जाया करो। यह सिलसिला काफी दिनों तक चलता रहा। मैंने फिर से घर छोड़ने का मन बनाया तो पत्नी ने कहा कि एक बेटा या बेटी हो जाए तो फिर आप हमेशा के लिए जा सकते हैं। ईश्वर की कृपा से कुछ समय बाद एक बेटी पैदा हुई। सबकी इच्छा थी कि बेटा हो लेकिन बेटी पैदा हुई तो मैंने उसके नाम आकांक्षा रखा। इसके बाद मां से भिक्षा लेकर मैं हमेशा-हमेशा के लिए घर से निकल गया। तब से गंगा किनारे जगह-जगह जाता हूं और कोशिश करता हूं कि इस शरीर से ज्यादा से ज्यादा लोगों का कल्याण हो। इस वक्त सियाराम बाबा गड़ौली आश्रम में ठहरे हुए हैं। उन्होंने औघड़ संप्रदाय के बारे में समाज की भ्रांति के बारे में कहा कि-हां यह सच है कि लोग औघड़ से डरते हैं क्योंकि हमारा काम कठोर होता है। हम कठोर वचन बोलते हैं लेकिन उद्देश्य भक्तों और मानव का कल्याण ही होता है। हमें किसी तरह की मोह-माया का आडंबर नहीं होता है। हम कीनाराम भगवान की परंपरा का पालन करते हुए ज्यादा से ज्यादा लोगों का भला ही करना चाहते हैं। मौजूदा प्रवचनकर्ताओं पर किए गए सवाल पर सियाराम बाबा ने कहा कि वे उनके विषय में इसलिए नहीं बोल सकते कि वे सिर्फ गुमराह करने का काम करते हैं। जो खुद मोह माया में लीन है, धन कमाने में व्यस्त है, ऐसे लोग किसी का क्या भला करेंगे। अंत में सियाराम बाबा ने कहा कि शिवजी, मसान बाबा का ध्यान रखकर हर मनुष्य को अच्छा कर्म करना चाहिए। इसी में कल्याण निहित है।

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