गांवों में बेकाबू होता रहा कोरोना लगातार हो रही मौतें इसके जिम्मेदार कौन ?
Nmt News,पवन उपाध्याय/ मिर्जापुर के कछवा क्षेत में कोरोना की बेकाबू रफ्तार है ग्रामीण इलाकों को अपनी चपेट में लेती जा रही है। हालात ये है कि लगातार हो रही मौतों से ग्रामीण दहशत में हैं। पंचायत चुनाव के बाद से हालात और भी बिगड़ गए हैं। बरैनी गांव में हाल ही में 35 से अधिक लोगों को महामारी ने काल बनकर लील लिया है। इतनी बडी सख्या में एक गांव में मौत से पुरा गांव सदमें में हैं। गांव के लोग तो सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित हैं। इसके अलावा आश्चर्यजनक है कि कोरोना जैसे लक्षण होने के बावजूद ज्यादातर लोग जांच कराने से बच रहे हैं। वहीं देसी नुस्खों का प्रयोग करते हुए पूजा पाठ पर जोर दे रहे हैं। कुछ ही लोग हैं जो मेडिकल स्टोरों से दवाई खरीदकर कोरोना से जंग लड़ रहे हैं। एक ही परिवार के चार लोगों की मौत से पूरा गांव सहम सा गया सतीश चंद्र श्रीवास्तव पुत्र दशरथ लाल 65 वर्ष को सर्दी खांसी जुकाम हुआ और दो-तीन दिन के अंदर ही 21 अप्रैल को उनकी मृत्यु हो गई उसके बाद उनकी पत्नी गीता देवी 60 वर्ष कोरोना की लक्ष्मण की चपेट में आ गई और 4 मई को उनकी भी मृत्यु हो गई। उसी दौरान मृतक सतीश चंंद्र के चचेरे भाई कमलेश श्रीवास्तव पुत्र ओम प्रकाश 50 वर्ष की भी सींगटम के वजह से 29 अप्रैल को मृत्यु हो गई। परिवार अभी सदमें से उभर भी नहीं पाया था कि जिला खाद्य विपणन अधिकारी के पद पर तैनात छोटा भाई महेश श्रीवास्तव 44 वर्ष का भी कोरोना पाजटीव के वजह से 9 मई को उनकी भी मृत्यु हो गई। जीससे पुरा गांव सदमें में हो गया।उधर गांव में भी सुषमा देवी पत्नी राम जनम सिंह की 44 वर्षीय पत्नी सेटिंग में जाकर आई तो करो ना पास छुपाई जो दो-तीन दिन के अंदर ही है भाई 15 अप्रैल को मृत्यु हो गया वही गांव में ही शकुंतला देवी पत्नी स्वर्गीय पारसनाथ की सांस लेने में तकलीफ होते ही 18 अप्रैल को उनकी मृत्यु हो गई वही पूर्व प्रधानाध्यापक रहे श्रीधर सांस लेने में तकलीफ होते ही वाराणसी के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां 21 अप्रैल को उनकी मृत्यु हो गई गांव की ही श्यामलाल माझी को भी सर्दी जुखाम और खाओ सांस लेने में तकलीफ होने पर 21 अप्रैल को ही उसकी भी मृत्यु हो गई उसी दिन मालती देवी 65 वर्ष की भी सांस लेने में तकलीफ होते ही मृत्यु हो गई लगातार हो रही वृद्धि से पूरा गांव सहम सा गया। जबकि कुछ लोगों को सर्दी, जुखाम बुखार के लक्षण हैं। इसके बावजूद भी ना तो स्वास्थ्य विभाग को सूचना दिया जा रहा है और ना ही स्वास्थ्य विभाग गांव में जाकर जांच ही कर रही है । इसके अलावा सैनिटाइजेशन के अभी कार्य न तो स्वास्थ्य विभाग करा रहा है और ना ही ग्राम विकास अधिकारी के द्वारा गांव में कराया जा रहा है।