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नवी मुंबई कैसे बनेगा उत्कृष्ट शहर ?
जब झोपड़पट्टी इलाकों में हैं अनगिनत समस्याएं

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मनीष अस्थाना / नवी मुंबई: नवी मुंबई में जितना आसान आम जनता के साथ वादा करना होता है लेकिन उन वादों को पूरा करना उतना ही मुश्किल होता है। राजनेता चुनाव के समय वादों की झड़ी लगाने में तनिक भी गुरेज नहीं करतें हैं शायद यही वजह है कि इन दिनों नवी मुंबई में भी कुछ नेता ऐसे हैं जो जनता के साथ पिछले कई सालों से वादों की झड़ी लगाने का काम कर रहें हैं। अपने आप को नवी मुंबई का सर्वेसर्वा बताने वाले नवी मुंबई के दिग्गज नेता गणेश नाईक के पुत्र संदीप नाईक ने अपने जन्मदिन के पहले नवी मुंबई को एक उत्कृष्ट शहर बनाने की बात कही है हालांकि पिछले 30 से अधिक वर्षों से नवी मुंबई को उत्कृष्ट शहर बनाने की जिम्मेदारी उनके पिता गणेश नाईक ही संभाल रहे थे जिसे वे आज तक पूरा नहीं कर पाए। सबसे बड़ा सवाल यह है कि यहाँ की झोपड़पट्टी इलाकों में रहने वाले नागरिक आज भी अनगिनत समस्याओं का सामना कर रहें हैं जिसे न तो नवी मुंबई महानगर पालिका दूर कर पा रही है और न ही स्थानीय नेता ? तो भला ऐसे में नवी मुंबई एक उत्कृस्ट शहर किस तरह से बन पायेगा ? आज हम बात करेंगे सिर्फ नवी मुंबई महानगर पालिका के अंतर्गत आने वाली झोपड़पट्टी परिसर के कुछ इलाकों की जो नवी मुंबई महानगर पालिका के गठन होने के बाद वहां रहने वाले नागरिकों को सुविधाएँ उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी नवी मुंबई मनपा के कंधों पर है। नवी मुंबई महानगर पालिका के अंतर्गत झोपड़पट्टी परिसर इंदिरा नगर, तुर्भे, गणपति पाड़ा, शिवशक्तिनगर के आलावा कई अन्य इलाके भी आतें हैं किन्तु आज हम सिर्फ इन्ही इन्हीं इलाकों की बात करेंगे।
सबसे बड़ी समस्या पेयजल संकट
इस इलाके की झपड़पटी परिसर में 70 से 80 हजार के आसपास लोग रहतें हैं लेकिन यहाँ के लोगों की शिकायत है कि उन्हें न तो पीने के लिए समय पर पानी की सप्लाई होती है और न ही पानी स्वच्छ आता है पेयजल संकट को लेकर यहां के नागरिक मनपा आयुक्त से लेकर जनप्रतिनिधि से लगातार शिकायतें करते रहतें हैं लेकिन उनकी समस्या जस की तस बनी रहती हैं। ऐसा भी नहीं कि इन इलाकों में समस्याएं आज पैदा हुई है यह समस्याएं सालों से चली आ रहीं है यहाँ की जनता विधायक भी चुनती है और मनपा में जन प्रतिनिधि भी लेकिन कोई भी यहाँ के लोगों की समस्याओं को दूर नहीं कर सका। यहाँ पर डम्पिंग ग्राउंड की समस्या सालों से है डम्पिंग ग्राउंड की बदबू से लोग परेशान रहते हैं लेकिन मनपा प्रशासन आज तक इस समस्या को दूर नहीं कर सका।
असमय होती है पानी की सप्लाई
नवी मुंबई महानगर पालिका नवी मुंबई के शहरी इलाकों में 24 घंटे जलापूर्ति की बात करती है लेकिन उसी मनपा के अंतर्गत आने वाले झोपड़पट्टी इलाकों में रहने वाले लोगों को समय पर पेयजल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है जिसकी वजह से आम जनता को आये दिन परेशानी का सामना करना पड़ता है। स्थानीय लोगों की शिकायतें हैं कि इस परिसर में जलापूर्ति ऐसे समय की जाती है जब कोई घरों में नहीं होता है पानी सप्लाई का कोई निर्धारित समय भी तय नहीं किया गया है जिसकी वजह से स्थानीय लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। क्षेत्र के प्रभावशाली नगरसेवक प्रशासन के समक्ष हो जाते हैं फेल इस झोपड़पट्टी परिसर में राजनीति करने वाले लोगों में सबसे प्रभावशाली नेताओं में सुरेश कुलकर्णी की गिनती की जाती है , सुरेश कुलकर्णी अपने साथ साथ अन्य लोगों को भी चुनाव जितवाने में सक्षम माने जाते हैं सुरेश कुलकर्णी लगभग 20 से अधिक सालों से इस झोपड़पट्टी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहें हैं। एक समय के कद्दावर नेता गणेश नाईक के सबसे अधिक करीबी लोगों में गिने जाते थे जब गणेश नाईक शिवसेना में तब भी और जब गणेश नाईक एनसीपी में शामिल होकर मंत्री बने तब भी। कहा जाता है कि गणेश नाईक की इच्छानुसार ही सुरेश कुलकर्णी नवी मुंबई महानगर पालिका स्थायी समिति के अध्यक्ष बने। सुरेश कुलकर्णी नवी मुंबई मनपा स्थायी समिति के अध्यक्ष तो बन गए बावजूद इसके वे झोपड़पट्टी परिसर की समस्याओं को पूरी तरह से सुलझा नहीं पाए , शायद यही एक वजह थी कि उन्हें डंपिंग ग्राउंड की समस्या को लेकर संघर्ष करना पड़ा और पानी की समस्या से वहां के लोगों को निजात दिलाने के लिए मनपा मुख्यालय पर हंडा मोर्चा भी निकालना पड़ा लेकिन पेयजल का संकट फिर भी दूर नहीं हुआ।
स्वास्थ्य सुविधाओं का भी अभाव
नवी की झोपड़पट्टी परिसर में सिर्फ पेयजल संकट ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य सुविधाओं का भी अभाव है इस बात की शिकायत भी आये दिन लोग मनपा प्रशासन से करते रहतें हैं लेकिन समस्या को दूर करने के लिए कोई प्रयास नहीं किये जातें हैं इस बात के आरोप आए दिन स्थानीय लोगों द्वारा ही लगाए जाते हैं।
आखिर क्यों नहीं दूर होती हैं समस्याएं ?
स्थानीय लोगों की शिकायत है कि इस परिसर के प्रतिनिधि जब गणेश नाईक मंत्री थे तब उनके करीबी थे , गणेश नाईक जब सत्ता से दूर हुए और राज्य में महाविकास आघाडी सरकार बनी तब वे एकनाथ शिंदे के करीब चले गए और अब जब राज्य में भाजपा एकनाथ शिंदे गुट की सरकार है तब भी वे एकनाथ शिंदे के साथ है फिर आखिर ऐसी कौन सी वजह है कि नवी मुंबई महानगर पालिका प्रशासन उनकी बात नहीं मानता है ? उन्हें समस्याएं दूर करने के लिए मोर्चा आंदोलन का सहारा लेना पड़ता है ? स्थानीय लोगों का कहना है कि कहीं ऐसा तो नहीं स्थानीय प्रतिनिधि यहाँ की समस्याओं को दूर ही नहीं करना चाहतें हो ? क्योकि बिना समस्याओं के वे चुनाव किस मुद्दे पर लड़ेंगे ? ख़ैर यह राजनीति का विषय है फ़िलहाल यहाँ की जनता यही चाहती है कि किसी भी तरह से समस्याओं से छुटकारा दिलाया जाए।

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