Website Media & News Channel

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: रिकॉर्ड मतदान के बीच सियासी पारा चरम पर

0

परमेश्वर सिंह | पटना : बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 अब अपने निर्णायक मोड़ पर है। पहले चरण का मतदान शांतिपूर्ण और रिकॉर्ड स्तर पर संपन्न हुआ, जबकि दूसरे चरण की तैयारियां ज़ोरों पर हैं। इस बार मतदाताओं की अभूतपूर्व भागीदारी ने सभी राजनीतिक दलों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। पहले चरण में रिकॉर्ड मतदान- चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, पहले चरण में 65.08% मतदान दर्ज किया गया – यह बिहार के चुनाव इतिहास में अब तक का सबसे ऊँचा प्रतिशत है। इस चरण में 121 सीटों पर वोटिंग हुई, और किसी भी बूथ पर पुनर्मतदान की आवश्यकता नहीं पड़ी। 2020 के चुनाव की तुलना में इस बार लगभग 8% अधिक वोट पड़े हैं, जो मतदाताओं की जागरूकता और भागीदारी में बड़ा इज़ाफा दिखाते हैं। दूसरा चरण – 11 नवंबर को 20 जिलों की 122 सीटों पर मतदान अब सारा ध्यान दूसरे चरण पर केंद्रित है, जो 11 नवंबर (सोमवार) को होगा। इसमें पटना, गया, सहरसा, दरभंगा, भागलपुर, मुज़फ्फरपुर और सीवान जैसे अहम जिले शामिल हैं। इन सीटों पर मुकाबला बेहद दिलचस्प माना जा रहा है, क्योंकि कई सीटों पर 2020 में जीत का अंतर 1000 वोटों से भी कम था। बढ़े मतदान का राजनीतिक अर्थ- राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बढ़ता मतदान “एंटी-इनकंबेंसी” या “चेंज वेव” का संकेत हो सकता है, पर यह आवश्यक नहीं कि सत्ता परिवर्तन निश्चित हो। एनडीए (NDA) और महागठबंधन ( RJD-Congress) दोनों ही इसे अपने पक्ष में दिखाने की कोशिश में हैं। एनडीए नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने दावा किया है कि “इस बार का परिणाम ऐतिहासिक होगा, एनडीए पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ेगा।” वहीं महागठबंधन के नेताओं का कहना है कि उच्च मतदान जनता की बदलाव की इच्छा को दर्शाता है। प्रचार चरम पर, बड़े नेता मैदान में- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की रैलियों ने एनडीए को नई ऊर्जा दी है। दूसरी ओर, तेजस्वी प्रसाद यादव और राहुल गांधी लगातार प्रचार कर रहे हैं, बेरोज़गारी और महंगाई जैसे मुद्दों को केंद्र में रखकर। सोशल मीडिया पर दोनों गठबंधनों की डिजिटल प्रचार मुहिम भी तेज़ी से चल रही है। प्रशासनिक तैयारी और सुरक्षा – चुनाव आयोग ने दूसरे चरण के लिए सुरक्षा को लेकर विशेष प्रबंध किए हैं। सीमावर्ती जिलों में अर्धसैनिक बलों की तैनाती, मतदान केंद्रों पर वेब कास्टिंग, और महिला मतदाताओं के लिए “पिंक बूथ” जैसी व्यवस्थाएँ की गई हैं। अब तक कहीं से किसी बड़े चुनावी हिंसा या अनियमितता की खबर नहीं आई है। बिहार चुनाव 2025 न केवल राजनीतिक रूप से बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी अहम है। इस बार मतदाताओं ने रिकॉर्ड तोड़ भागीदारी दिखाकर यह संदेश दिया है कि वे अपने भविष्य को लेकर पहले से अधिक सजग हैं। अब सभी निगाहें 11 नवंबर के मतदान और 14 नवंबर की मतगणना पर टिकी हैं जहाँ यह तय होगा कि बिहार की कमान किसके हाथों में जाएगी।

Leave A Reply

Your email address will not be published.