देहिया भईल फुलवरिया हे गोरी
चहु ओर महकता जैसे पराग
हथवा ले गुललवा
रिझाइल बा मनवा
मलई देतु गलवा गुलाल
हे गोरी महकता जैसे पराग
मनवा रिझाइल बा
तनी ताक हो गोरी
मलई देतु गलवा गुलाल
गुललवा लगयिति मनवा रिझईती
चिखइती गजब के स्वाद
हे गोरी महकता जैसे पराग
दौड़ त लागी सब जनवा
चहु दिश भ मनवा
फगुनवा क आयिल बहार
लागल बा इनर दरबार
हे गोरी महकता जैसे पराग
उमरिया क सुधिया
नही बा कहुके
नर नारी फँसल बा बयार
फगुनवा क आयिल बा बहार
हे गोरी महकता जैसे पराग
भईल बा ई मनवा
समाइल बा उ जनवा
सबके लागी बा फगुनवा बयार
हे गोरी महकता जैसे पराग
अंखिया नचावत सभय हरषावत
अँखियन के चलत बा वार
आँख मट्टकल देह उच्चक्कल
गजब भईल बा दुलार
हे गोरी महकता जैसे पराग
गजब क मेला काहे रह लु अकेला
सखियाँ संग खेल गुलाल
हे गोरी महकता जैसे पराग