बागी नगरसेवक अपने भविष्य को लेकर परेशान, शिंदे गुट के बजाय भाजपा में सुरक्षित मान रहें हैं अपना भविष्य
मनीष अस्थाना / महाराष्ट्र : नवी मुंबई के शिवसेना से बागी हुए नगरसेवकों में कुछ पूर्व नगरसेवक ऐसे भी हैं जिन्हें शिंदे गुट में अपना भविष्य नजर नहीं आ रहा है ऐसे लोग अब दूसरे दलों में अपनी जगह तलाश करने में लगे हुए शिंदे गुट में शामिल हुए कुछ नगरसेवकों को लगता है कि आने वाले समय में उनका भविष्य अंधकारमय हो सकता है इसलिए वे किसी दूसरे दल का विकल्प तलाश रहें है। सूत्रों का कहना हैं नवी मुंबई के बागी नगरसेवकों की दुविधा को देखते हुए भाजपा और एनसीपी ने नजर रखनी शुरू कर दी है। सूत्रों का कहना है कि नवी मुंबई महानगर पालिका चुनाव से पहले कई नगरसेवक अपना पाला बदल सकते हैं। सूत्रों का यह भी कहना है कि कुछ बागी पूर्व नगरसेवक अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के साथ जाने के इच्छुक हैं। नवी मुंबई में चर्चा इस बात की भी की जा रही है कि गवते परिवार के भाजपा में शामिल होने के बाद झोपड़पट्टी एरिया के कुछ और भी प्रभावशाली पूर्व नगरसेवक हैं जो फिर से गणेश नाईक के साथ जाने का मन बना रहें हैं। हालांकि जो नगरसेवक गणेश नाईक के साथ जाने का मन बना रहें हैं वे पहले गणेश नाईक के साथ ही थे लेकिन जब गणेश नाईक भाजपा में शामिल हुए तो उन लोगों ने गणेश नाईक का साथ छोड़कर विजय नाहटा और विजय चौगुले के साथ शिवसेना में शामिल हो गए थे ऐसे लोगों को इस बात की आशंका है कि यदि शिंदे – भाजपा सरकार में गणेश नाईक को मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया तो कहीं ऐसा न हो कि गणेश नाईक उनका काम ही ना करें.?
वैसे माना यह भी जा रहा है कि भाजपा हाईकमान ने जिस तरह से एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया है उससे भाजपा के विधायक दुखी है इसबात की पुष्टि खुद चंद्रकांत पाटिल कर चुके हैं उन्होंने स्पष्ट कहा है कि उन्होंने अपने दिल पर पत्थर रखकर एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया जाना स्वीकार किया हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भाजपा में जो लोग मंत्री बनेंगे वे आसानी से एकनाथ शिंदे गुट में शामिल हुए नगरसेवकों के काम करने में रूचि दिखाएंगे ? जहाँ तक बात है नवी मुंबई की तो नवी मुंबई में विजय नाहटा और विजय चौगुले गणेश नाईक के सबसे बड़े विरोधी है इसके अलावा तुर्भे के नगरसेवक सुरेश कुलकर्णी, ऐरोली के एम के मढवी, वाशी के किशोर पाटकर, कोपरखैरणे के शिवराम पाटिल गणेश नाईक के विरोधियों में ही गिनती होती है इन लोगों ने गणेश नाईक पर व्यक्तिगत दिप्पणियाँ भी कर चुकें हैं ऐसे में यदि गणेश नाईक को मंत्रिमंडल में जगह मिल जाती है तो शिंदे गुट के साथ रहने के बावजूद नवी मुंबई में इन लोगों की राह आसान नहीं होगी ? कहा जाता है कि गणेश नाईक अपने विरोधियों को सबक जरूर सिखातें हैं भले ही देर से सही। सूत्रों का कहना है कि नवी मुंबई में एक बार फिर से गणेश नाईक के फेवर वाला माहौल बनने की बात कही जा रही है एक बार फिर गणेश नाईक के सत्ता की ताकत आने की उम्मीद व्यक्त की जा रही है। सूत्रों का कहना है इसी सम्भावना को देखते हुए जिन लोगों ने एक समय में गणेश नाईक का विरोध करना शुरू किया था वे लोग उनके करीब आने का प्रयास भी कर रहें हैं इसके लिए फिलहाल संदीप नाइक का भरोषा जीतने की कोशिश भी कर रहें हैं।