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क्या एकनाथ शिन्दे लोगों को धमकी दिलाकर कर रहें हैं अपने गुट का विस्तार ?

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मनीष अस्थाना / नवी मुम्बई, शिवसेना से बगावत कर भाजपा से गठबंधन कर सरकार बनाने वाले एकनाथ शिन्दे क्या लोगों को धमकी दिलवाकर अपने गुट का विस्तार कर रहें हैं ? नवी मुम्बई स्थित ऐरोली से शिवसेना (उद्धव गुट) पूर्व नगरसेवक एम के मढ़वी द्वारा लगाए गए आरोपों से तो कुछ ऐसा ही लगता है। एम के मढ़वी ने यह आरोप बाकयदा पत्रकार परिषद आयोजित कर लगाए हैं। मढ़वी का कहना है कि राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिन्दे इसके लिए नवी मुम्बई पुलिस आयुक्तालय के जॉन एक के पुलिस उपायुक्त पानसरे की मदद ले रहे है, पुलिस उपायुक्त पानसरे ने सीधे शब्दों में कहा है वे उद्धव ठाकरे को छोड़कर एकनाथ शिन्दे के साथ जाए और उन्हें 10 लाख रुपए भी दें अन्यथा उनका एनकाउंटर कर दिया जाएगा। एम के मढ़वी द्वारा लगाए गए आरोप बेहद गंभीर है, उन्होंने सीधे सीधे मुख्यमंत्री एकनाथ शिन्दे और पुलिस विभाग को कटघरे में खड़ा कर दिया है यदि ऐसा वास्तव में है तो यह राजनीति के अच्छे संकेत नहीं है। राजनीति इस बात के लिए पहले से ही बदनाम है कि सत्ता में बैठे लोग अपनी ताकत दिखाने के लिए सीबीआई का उपयोग करतें है लेकिन किसी राजनीतिक दल का विस्तार करने के लिए खुले तौर पर एनकाउंटर की धमकी देने का मामला सामने नहीं आया है यह महाराष्ट्र ही नही देश का पहला मामला होगा जहां खुले तौर पर आरोप लगाया गया है। पता हो कि नवी मुम्बई के बड़ी संख्या में शिवसेना नगरसेवक बगावत होने के बाद एकनाथ शिन्दे गुट में शामिल हो गए थे लेकिन ऐरोली से एम के मढ़वी अपने व्यक्तिगत संबंधों की वजह से उद्धव ठाकरे के साथ खड़े रहे। एम के मढ़वी का आरोप है कि उन पर लगातार इस बात का दबाव बन रहा था कि वे एकनाथ शिन्दे गुट में शामिल हो जाए, आरोप यह भी है कि इसके लिए उन पर झूठे मामले भी दर्ज किए गए फिर भी जब उन्होंने एकनाथ शिन्दे गुट में शामिल नही हुए तब पुलिस उपायुक्त पानसरे ने उन्हें बुलाकर धमकी दी कि वे उन्हें 10 लाख की रिश्वत दे इसके अलावा विजय चौगुले के नेतृत्व में एकनाथ शिन्दे गुट में शामिल हो जाए वरना उनका एनकाउंटर कर दिया जाएगा। एम के मढ़वी एकनाथ शिन्दे गुट में शामिल तो नहीं हुए बल्कि इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया और पत्रकार परिषद में सीधा सीधा आरोप लगा दिया। हालांकि पुलिस अधिकारियों के राजनेताओं से संबंध होना कोई नई बात नहीं है राजनेताओं के लिए पुलिस प्रशासन नोट कमाने का एक साधन मात्र है इस बात का खुलासा मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह प्रकरण में हो चुका है लेकिन इस बात का खुलासा पहली बार हुआ है जब पार्टी विस्तार के लिए किसी जनप्रतिनिधि को जान से मारने की धमकी किसी पुलिस अधिकारी द्वारा दी गयी हो। इस मामले की जांच पूरी निष्पक्षता से की जानी चाहिए यदि पार्टी विस्तार के लिए कोई ऐसा कुछ करवा रहा है तो यह लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है, आज पार्टी विस्तार के लिए जन प्रतिनिधियों को धमकाया जा रहा है यदि इसका विरोध नही हुआ तो आने वाले समय मे पुलिस विभाग मतदाताओं को वोटिंग करने के लिए पुलिस स्टेशनों में बुलाया जाने लगेगा।

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