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महामलपुर और जमुआ उपस्वास्थ्य केंद्र में लोग बीमार! नहीं हो पा रहा सही से उपचार।

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Nmt News,पवन उपाध्याय/ UP मिर्ज़ापुर के कछवा ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को निशुल्क उपचार उपलब्ध कराना महज दिखावा बनकर रह गया है। क्योंकि कछवा क्षेत्र के जमुआ उप स्वास्थ्य केंद्र और  महामलपुर उप स्वास्थ्य केंद्र ऐसे हैं जहां पर पिछले कई महीने से स्लीपर के माथे स्वास्थ्य केंद्र चल रहा हैं । स्वास्थ्य केंद्र खुद बीमार है तो दुसरो का क्या इलाज करेगा।  ग्रामीण छोलाछाप डाक्टरों के यहा ईलाज कराने को मजबुर हैं। जमुआ उप स्वास्थ्य केंद्र पर दो डाक्टरों की तैनाती हैं जिसमें एक डा. भरत यादव और दुसरा डा.सत्यनारायण हैं वही महामलपुर उप स्वास्थ्य केंद्र पर डा.अमर दत्त व डा ज्ञानप्रकाश, फरमासीस्ट बी पांडेय, सुरेश शर्मा नहीं जाते महामलपुर। वही जमुआ  दोनों डाक्टर  महिनों से स्वास्थ्य केंद्र पर नहीं आते एक दो हप्ते में आते भी हैं तो हाजिरी लगाकर भीर नही दिखाई देते।

 ग्रामीणों को स्वास्थ्य लाभ मुहैया करवाने के उद्देश्य से सरकार ने गाव में उप-स्वास्थ्य केन्द्र खोला था। लेकिन यह ग्रामीणों का दुर्भाग्य ही रहा कि लाखों रुपये की लागत से बने उप-स्वास्थ्य केन्द्र पर न तो डाक्टर ही आतें हैं और न कोई अधिकारी ही देखने आते है।  ग्रामीण उपचार के लिए झोलाझाप की शरण लेने को मजबूर हैं। गाव से कस्बे तक आपातकालीन स्थिति में समय पर मिलने वाली चिकित्सा सुविधा की संभावना क्षीण हो जाती है। यूं तो उप-स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सा सुविधा का लाभ न मिलने पर सभी ग्रामीण परेशान है। लेकिन फिर भी यहा सबसे अधिक गरीब परिवारों पर बीमारी भारी पड़ रही है। लाकडाउन में  परिवहन का टोटा होने से मरीजों का कछवा स्वास्थ्य केंद्र तक पहुचना किसी मुश्किल से कम नही है। इतना सबकुछ होते हुए फिर भी स्वास्थ्य विभाग उप-स्वास्थ्य केंद्र की सुध नही ले रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि उनके गाव में स्थित उप-स्वास्थ्य केंद्र पर कई दिनों से डाक्टर नहीं आ रहे है जिससे ग्रामीणों को स्वास्थ्य लाभ नहीं मिल पा रहा  है। उप-स्वास्थ्य केंद्र पर रेगुलर डाक्टरों की उपस्थित की माग को लेकर ग्रामीण कई बार विभागीय अधिकारियों से लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा चुके हैं लेकिन ग्रामीणों को आश्वासन के सिवाय आज तक कुछ नही मिला है। ग्रामीणों ने कहा कि सरकारी सुविधा के एवज में गाव की स्थिति खराब है। यहा सरकारी नलकूप है लेकिन पानी नही है।  उपयोग न होने के कारण जहा भवन जीर्ण होने लगा है तो केंद्र में रखा सामान रखरखाव के अभाव में धूल फाक रहा है। वही समय पर उपचार मिलने के अभाव में गंभीर बीमारी वाले मरीज अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ जाते है। गरीब व असहाय परिवार निजी अस्पतालों में इलाज लेने को मजबूर हैं। लेकिन विभाग उप-स्वास्थ्य केन्द्र पर स्टाफ की नियुक्ति पर ध्यान ही नही दे रहा है। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी प्रविण कुमार लक्ष्कार व सीडीओ लक्ष्मी बीएस से गुहार लगाकर उप-स्वास्थ्य केंद्रो पर डाक्टरों की उपस्थिति और इलाज सुचारू कराने की माग की है।

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